किसीकी क्या मजाल जो खरीद सकता हमको, वो तो हम ही बिक गये खरीददार देख के! जिसे लमहों की किताब और यादें का कवर कहते हैं, वो सुना रहे थे अपन�
किसीकी क्या मजाल जो खरीद सकता हमको, वो तो हम ही बिक गये खरीददार देख के! जिसे लमहों की किताब और यादें का कवर कहते हैं, वो सुना रहे थे अपन�